
नींबू पानी का नाम आते ही ताजगी और स्फूर्ति का अहसास होता है। गुनगुने पानी में नींबू मिलाकर पीना एक ऐसी आदत है, जो सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचा सकती है। यह शरीर को हाइड्रेट करने से लेकर पाचन शक्ति को बेहतर बनाने तक, कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता है। लेकिन जैसा कि हर चीज़ के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं, वैसे ही नींबू पानी का भी सही समय, सही मात्रा और सही तरीके से सेवन करना चाहिए।
नींबू पानी के फायदे
- हाइड्रेशन बनाए रखता है
सुबह उठने के बाद या किसी थकान भरे दिन में नींबू पानी शरीर में पानी की कमी पूरी करता है और ताजगी लाता है। - विटामिन C का अच्छा स्रोत
नींबू को प्राकृतिक विटामिन C का भंडार माना जाता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और त्वचा को भीतर से चमकदार बनाने में मदद करता है। - पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है
नींबू पानी पाचन रसों को सक्रिय करता है, जिससे खाना सही से पचने लगता है। कब्ज या पेट फूलने जैसी समस्याओं में यह फायदेमंद हो सकता है। - वजन प्रबंधन में सहायक
गुनगुना नींबू पानी मेटाबॉलिज़्म को तेज करता है। नियमित सेवन से शरीर में जमा अतिरिक्त वसा कम करने में मदद मिल सकती है। - टॉक्सिन बाहर निकालता है
नींबू पानी शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालकर डिटॉक्स का असर डालता है, जिससे त्वचा और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं।
नींबू पानी के नुकसान
- एसिड रिफ्लक्स और जलन
जिन लोगों को गैस, एसिडिटी या हार्टबर्न की समस्या होती है, उनके लिए नींबू पानी तकलीफदेह साबित हो सकता है। इसकी खटास पेट में जलन पैदा कर सकती है। - दांतों पर असर
नींबू का खट्टा एसिड दांतों की ऊपरी परत (एनामेल) को धीरे-धीरे कमजोर कर सकता है। लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से दांतों में संवेदनशीलता और कैविटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। - अत्यधिक सेवन का खतरा
अगर बहुत ज्यादा नींबू पानी पीया जाए, तो यह शरीर के पीएच स्तर में असंतुलन पैदा कर सकता है और पाचन क्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
नींबू पानी पीने का सही तरीका
- इसे सुबह खाली पेट हल्के गुनगुने पानी में लेना सबसे लाभदायक माना जाता है।
- बहुत गर्म पानी में नींबू डालने से बचें, क्योंकि इससे विटामिन C नष्ट हो सकता है।
- नींबू पानी पीने के बाद सादे पानी से कुल्ला करना ज़रूरी है, ताकि दांतों पर इसका असर न पड़े।
- बेहतर होगा कि इसे स्ट्रॉ के जरिए पिया जाए, ताकि नींबू का एसिड सीधे दांतों के संपर्क में न आए।